Monday, June 12, 2023

Prayas - April 2023


                                                      

Year - 3                         Month - April 2023                              Issue - 40

प्यारे बच्चों,

गत माह कुछ ज्यादा व्यस्तता के कारण आपके लिए कुछ नहीं लिख पाया मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप सभी लोग अच्छे होंगे I अब आप का नया सेशन शुरू हो चूका है और नए पुस्तकों के साथ पढ़ने का आनंद ले रहे होंगे I इसी क्रम में आज कुछ कसमें वादे भी करें कि कुछ नया करना है इस बार I इसी को लेकर आज का article आपके प्रसास के अंतर्गत -

1- आज नहीं कल से करूँगा 

आज नहीं तो कल, कल नहीं तो परसों, हम इसी तरह अपने कामों को टालते रहते हैं। जो काम आज हो सकता है, उसे कल पर टाल देते हैं और कल आने पर परसों। इसी तरह समय बीतता जाता है और एक-एक दिन के साथ हमारे कामों का बोझ बढ़ता जाता है।

जैसे जैसे हमारे कामों का बोझ बढ़ता जाता है तो हम उन कामों को करना ही छोड़ देते हैं और ऐसे में कई बार हम अपने जरूरी काम भी नहीं कर पाते और फिर बाद में उसी का अफ़सोस करते हैं। अपने काम को टालते रहना या फिर हर काम में काम चोरी करना असफल लोगों की निशानी है। जो काम आप आज और अभी कर सकते हैं उसे कभी भी कल पर ना टालें।

अपने आलस को अपनी जिंदगी से दूर रख कर उस काम को आज ही निपटा लें। ‘डेविड कॉपरफील्ड’ किताब में चार्ल्स डिकेंस कहते हैं, ‘मेरी सलाह है कि जो काम आप आज कर सकते हैं, उसे कल पर ना छोड़े। टालमटोल का रवैया समय का सबसे बड़ा चोर है।’ 

2- बेवजह का डर क्यों 

एक बात से जुड़ी कई बातें होती हैं। उनमें कई आशंकाएं और संभावनाएं छिपी होती हैं। लेकिन उदासी के पलों में हमें केवल डर दिखाई देता है। हम अपने डर पर ज्यादा भरोसा करने लगते हैं। कई बार हमारा डर हमें भविष्य में होने वाले खतरों से बचाता भी है। पर, कई डर बेमतलब के होते हैं।

हम बेवजह एक बात से दूसरी बात को जोड़ते चले जाते हैं। मनोविज्ञानी कहते हैं, डर भी एक feeling है, एक रासायनिक प्रतिक्रिया है। मन में छुपा रहने वाला हर डर सही साबित नहीं होता। कोई Thought अगर आपको ज्यादा परेशान कर रहा है, तो उससे ध्यान हटाने की कोशिश करें।

किसी दूसरी चीज के बारे में सोचने की कोशिश करें। अपने well wishers से बात करें। उस समस्या से जुड़े अनुभवी लोगों से बात करें। दर हमेशा हमारे मन में रहता है। हो सकता है, कुछ बुरा हो भी जाए, पर होगा ही, ये जरूरी नहीं है। अपने डर को स्वीकार करें, पर हमेशा उसे अपने साथ ना रखें। 

3- अपनी परेशानी किसे बताएं 

कुछ लोगों की आदत होती है कि कोई Problem आने पर वो किसी से भी उसके बारे में बातचीत करना पसंद नहीं करते। पर, एक सच ये भी है कि कभी-कभी अपनी परेशानी किसी दूसरे को बता देने भर से ही मन हल्का हो जाता है। और, हो सकता है कि बातों ही बातों में उसका Solution भी निकल आए।

जब हम इस चिंता में पड़ जाते हैं कि हमारी तकलीफ के बारे में सुनकर बाकी लोग क्या सोचेंगे, कहीं मजाक तो नहीं उड़ाएंगे, या फिर हमारा और ज्यादा नुकसान तो नहीं हो जाएगा, इस तरह परेशानी कम होने की बजाय और ज्यादा बढ़ने लगती है। पूरी दुनिया के सामने अपनी परेशानी का ढिंढोरा ना पीटें। इसके विपरीत, अपने किसी दोस्त, family member या फिर ऐसे व्यक्ति जिस पर आप भरोसा करते हों उनके साथ अपनी problem को share करें।

ऐसा करने से मन में एक विश्वास आता है कि मुसीबत के समय हम अकेले नहीं हैं। कोई है, जो हमारा सहारा बनकर हमारे साथ खड़ा रह सकता है। इसलिए अपनी बातों को विश्वास लायक लोगों के साथ share करने से बिलकुल भी ना हिचकें। जो सच है वो कहें और अपनों से एक अच्छी राय जरूर लें। 

4- दुःख से कैसे बचें 

दुख हमें डराता है। उदासी हमें खलती है। हम इनसे बचना चाहते हैं। इसीलिए जब मूड खराब होता है, तो हम जितना जल्दी हो, उसे ठीक करने में लग जाते हैं। खुद को जल्दी खुश करने के लिए हम एक से दूसरे, दूसरे से तीसरे व्यक्ति या चीजों के पीछे भागते रहते हैं। दुखी होने पर खुश होने की और बेचैन होने पर शांत दिखने की कोशिश करते रहते हैं।

यहां एक बात याद रखना जरूरी है। किसी भी चीज की शुरुआत और उसका अंत दोनों मायने रखती है। कोई भी दुःख हो या किसी भी तरह की तकलीफ हो वो तब तक बनी रहती है, जब तक हम उसे पूरी तरह से अलविदा नहीं करते। किसी भी दुःख से जल्दी से उबरने की और सब कुछ ठीक करने की जल्दबाज़ी से कुछ हाथ नहीं आता। मन में छुपी भावनाएं लंबे समय तक हमें परशान करते रहती हैं। इसलिए तकलीफ को स्वीकार करना, उसका सामना करना जरूरी होता है।

कुछ दुख ऐसे भी होते हैं जो कभी नहीं जाते। लेकिन समय के साथ उस दुख से, उससे जुड़ी भावनाओं से हम संतुलन बनाना सीख जाते हैं। मनोविज्ञानी एमी जॉनसन कहती हैं, ‘हर चीज हमारे काबू में नहीं होती। ऐसा करने की कोशिश करना हमें तनाव में डाल देता है। हमें भरोसा रखना चाहिए कि उदासी के ये भाव हमेशा के लिए नहीं हैं, धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।’ 

5- एक दुनिया जो हम खुद बनाते हैं 
दुनिया किसी को नहीं छोड़ती। हम सभी की जिंदगी में कुछ लोग ऐसे जरूर होते हैं, जिनका काम टांग खिंचाई करना, हमारा मज़ाक उड़ाना, हमें पीछे धकेलना या फिर नुकसान पहुंचाना होता है। पर, दुनिया यहीं तक नही होती। इससे साथ-साथ एक दुनिया वो भी है, जो हम अपने साथ बनाते चलते हैं।

दूसरों की बातों पर ध्यान ना देकर, खुद के लिए जब हम कुछ करते हैं तो अपनी उस दुनिया को हम और बेहतर बनाते हैं। हर बार जब किसी मुसीबत या दुःख के बाद हम फिर से खड़े होते हैं, तो वो दुनिया और बड़ी और मज़बूत हो जाती है। ‘ए फेयरवेल टु आर्म्स’ में अर्नेस्ट हेमिंग्वे कहते हैं, ‘दुनिया हर किसी को तोड़ती है, उन्हीं में से बहुत सारे लोग हैं, जो टूटने के बाद और भी मजबूत हो जाते हैं।’

6- सीखने का सही मौका 

जब कोई आखिरी मिनट में बार-बार किसी योजना में बदलाव करता है, तो गुस्सा आना एक natural सी बात है। ऐसा होने पर हम शिकायतें करते हैं और आपस में कहासुनी होने लगती है। पर कई बार हमे सच में किसी बदलाव की जरूरत होती भी है। लेकिन तब क्या? जेन हेबिट के संस्थापक लिओ बॉबटा कहते है, ‘बदलावों से बचने की बजाय, हमें उन्हें कुछ नया सीखने का मौका समझना चाहिए।

इससे हमारे लिए हालात के अनुसार ढलना और अपना फोकस बनाए रखना आसान हो जाता है। किसी भी बदलाव से डरने की बजाय उसे आगे बढ़ने का रास्ता समझना हमें सफल बनाता है। बदलाव हमेशा नई चुनौती लाता है और चुनौती ही हमे कुछ नया सीखाती है। साथ ही जब किसी बदलाव से हमे कोई अच्छा result मिलता है तो हम मिलने वाले मौकों और साथ के लोगों के प्रति आभारी हो जाते हैं और उनसे बेहतर ढंग से जुड़ भी पाते हैं।’

इस माह इतना ही... अगले माह कुछ और…

नए सेशन की बहुत सारी बधाईयाँ

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

पुस्तकालयाध्यक्ष


Prayas - June 2023

 

                                                      

Year - 4                         Month - June 2023                              Issue - 42

प्यारे बच्चों,

इस माह में गर्मी अपने प्रचंड रूप में है. छुट्टीयां है अपने घरों में रहकर पढाई करें तथा 17 जून को स्कूल reopen होने वाला है पर अपनी सेहत पर पूरा-पूरा ध्यान देना होगा पानी खूब पीजिए और हमेशा खुशा रहिये. नई-नई चीजों को सीखते रहिये इस माह में कई छोटी -छोटी बातें है उस पर बात करते है तो चलिए शुरू करते हैं. 

दुनिया में उलझ जाना 

आप दुनिया में उलझ कर अपने सपने भूल जाते हो, दुनिया आपको परेशान करेगी आप से कहेगी की तू कुछ नहीं कर पायेगा, आपको गिराने की कोशिश करेगी, आपसे जलेगी आपको भटकाने की कोशिश करेगी, आपके एक बार के छोटे से असफलता (Failure) को बहुत बड़ा बना के आपको चिढ़ाएगी,

आप अगर उन पर ध्यान दोगे तो आपको लगता है की आप कुछ कर पाओगे, Are You Serious??

जी नहीं आप उन पर ध्यान दोगे तो आप कुछ नहीं कर पाओगे, उन्हें नजरअंदाज करना सीखो और खुद पर विश्वास करना सीखो,  आपकी मेहनत (Hard Work) किसी न किसी जगह जरूर दिखेगी आप बस थोड़ा सब्र रखो,

आप खुद पर विश्वास रखोगे तो आप खुद उम्मीदों पर तो खड़े उतरोगे ही बल्कि आप उससे भी बेहतर कर दिखाओगे, और अभी तक आपके जीवन में दुनिया का प्रेशर (Pressure) नहीं आया है तो आप अभी सफलता के रस्ते पर हो ही नहीं,

आपके सामने जीवन में एक न एक बार वो दिन जरूर आएगा जब सारी दुनिया आपके खिलाफ हो जाएगी, आप तो बस अकेले में ही अपनी जिंदगी और मेहनत की जंग लड़ते रहना, इस दौर से बहुत ही कम लोग कुछ सीख पाते हैं,

हमें वो दिन नहीं आने देना है चाहे किसी भी हद तक जाना पड़ जाए, इसलिए आपको सारी हदें पार करके आगे बढ़ना है..

आपको पता है, लोग कंजूसी क्यों करते हैं, क्योंकि उनमें कुछ करने की काबिलियत ही नहीं होती है, इसलिए वह एक रुपए बचाने के लिए भी कंजूसी करते हैं,

आपको सफलता के द्वार में जाना है तो आपको सारी हदें पार करनी ही होगी, आपकी जो भी खराब आदते हो सारी आदतें को छोड़ना है, और आपको अच्छी आदतें अपनानी ही होगी, आप कहीं से भी कुछ भी चीज को सिखे तो आप उसे एक बार अपना कर जरूर देखो ज्यादा नहीं सिर्फ 10 दिन तो करो,

लाखौं विद्यार्थियों की यही बुरी चीज है कि उन्हें ज्ञान फालतू का लगता है और कुछ लोगो को अच्छा लगता तो उन्हें अपनाना नहीं है,

विद्यार्थियों को सफलता के रस्ते पर दिन पर दिन कुछ नया करते रहना बहुत जरुरी है, और धीरे धीरे खुद को बदलना जरुरी है, पर बहुत लोग इसे नजरअंदाज करते है और एक समय के बाद सपनो को भूल के इसी जिंदगी में उलझ जाते है.. आप मेरी कुछ बातों को अपना कर देखना, 

अगर आपको अच्छा परिणाम ना मिल जाए तो बताना कोई भी आपको कुछ सीखता है सब अच्छा ही सिखाता है फिर वह आपकी सोच आपको गलत कहने पर मजबूर कर देती है, वह बात अलग है आपसे जलने बाले आपको आगे बढ़ते हुए न देख पायें,

आप स्कूल जाते हो कहते हो स्कूल में पढ़ाई नहीं होती है, आपको पढ़ना नहीं है, मुख्य कारण तो यही है कि आपको पढ़ना ही नहीं है स्कूल में तो पढ़ाई बराबर हो रही है, पर बहाने ही हमें सफलता से रोकते हैं इसलिए बहाने बनाना बंद करो..

आपकी सफलता के बीच में जो कुछ भी है, उसे तोड़ मरोड़ डालो उसे जैसे भी हो सके जल्दी छोड़ो घर की प्रॉब्लम है, घर की जिम्मेदारी है पढ़ने के इरादे से बाहर चले जाओ  वहां मेहनत (Hard Work) करो आपको रास्ते में जो भी समस्या है,

उसका समाधान जल्द ही ढूंढो क्योंकि आपके ही समाधान आपकी आने वाली जिंदगी बदल कर रख देगी फैसला आप करेंगे, आपके फैसले पर ही दुनिया टिकी है दुनिया का क्या है आज आप के खिलाफ है,

कल सफलता मिलने के आपके साथ होगी, ये आपको पता होना चाहिए,

दुनिया हमेशा अपने फैसले बदलते रहेगी सिर्फ ये याद रखना कि कहीं आपके माता पिता का एक फैसला आपको कुछ ना कर पाने की वजह न दे दे, इसलिए आज अपने समय को बर्बाद बिल्कुल मत करो कल समय भी आपका होगा,

दिन भी आपका होगा सिर्फ आज बस मेहनत (Hard Work) कर लीजिये कल सारी मुश्किलों का समाधान आपके पास होगा, आज आपको जिंतना रास्ता दिखा उतना आप पहले तय कीजिये उसके आगे का रास्ता बहा पहुँचने के बाद दिखने लगेगा।   

जिद करो और इतनी बड़ी खुद से जिद करो की तुम अपने खुद का जीने का तरीका ही बदल डालो आज तुम करोगे तो कल तुम्हें ही फायदा होगा,

आज सिर्फ तुम 5 साल मेहनत करो आगे के 50 साल आपके खुशियों से भरे होंगे वरना आज 5 साल आप मजे से जी लो और आगे के 50 साल आप मेहनत से जियो फैसला आपके हाथ में हैं,

आप आज काम तो करो ये याद रखना की आपके शुरूआती 2 साल आपको आगे और मेहनत (Hard Work) करने के लिए तैयार करेगा न कि  बेहतरीन रिजल्ट (Result) देगा, और ये 2 साल ये भी बता देंगे कि आप आगे के 3 सालों में कहा तक पहुँचने बाले हो,

बच्चों आप से हो सके तो अपने 2 साल तो सिर्फ सीखने यानि अनुभव (Experience) पर खर्च करे क्युकि आप जितना सेखोगे उतने ही बेहतरीन परिणाम आपको देखने को मिलेंगे। 

आज आपके बीच में जो कुछ भी आएगा , आज तुम्हारे सामने जो भी समस्या आए उसे आप हटा सकते हो, मगर कल बिल्कुल भी नहीं हटा पाओगे, लोग अपनी इज्जत के लिए नए दोस्त और अपनी पहचान बनाता है पर वो पहचान आपके कुछ काम नहीं आएगी पर आपकी सफलता की पहचान आपको जिंदगी भर काम आएगी, आप फैसला लेना मगर सोच समझकर लेना,

ये 5 साल गधा मजदूरी तो हर कोई कर लेगा पर ये मेहनत उससे भी ज्यादा कठिन होती है, यह सफलता कि मेहनत (Hard Work) कुछ लोगों से ही हो पाती है, और आपको उन्हीं कुछ लोगों में अपना नाम बनाना है इसलिए

आप उठो जागो और भागो तब तक भागो जब तक आप को सफलता के रास्ते नहीं मिल जाते ,

वही सफलता के रास्ते ढूंढना है आपको वैसे तो हर काम में सफलता होती है पर काम करने के तरीके अलग होते हैं, मेहनत (Hard Work) आज आप करो कल सफलता आपको जरूर मिलेगी आप सफलता के लिए जिस हदे पार कर सकते हो,

उस हद तक जाओ आप विद्यार्थियों हो मोटिवेशनल स्पीच पढ़ो और एक आग जलाओ अपने अन्दर और निकल पड़ो, कुछ इस हद तक मेहनत (Hard Work) करो की आप आज से 5 साल बाद अगर पीछे मुड़कर देखो तो आपको इतनी ख़ुशी हो की उसका आपके पास कोई जबाब ना हो,

सफलता  के असफलता (Failure) और उसमे लगने वाली मेहनत (Hard Work) हमे उस मुकाम पर टिकना सिखाती है, और आपको ऐसे ही Motivate करके आपके अन्दर कुछ ऐसे  करने का जूनून जगाती है, जिससे सफलता की मेहनत (Hard Work) में इजाफा देखने को मिलता है,

आपको सफलता में सारी हदें पार करना है हर एक समस्या का समाधान ढूंढ़ना हैं तो मेहनत (Hard Work) करो 

Good Luck For Your Life Struggle 

इस माह इतना ही... अगले माह कुछ और…

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 


Prayas - May 2023


                                                      

Year - 3                         Month - May 2023                              Issue - 41

प्यारे बच्चों,

इस माह में गर्मी अपने प्रचंड रूप में है. छुट्टी हो गयी है अपने घरों में रहकर पढाई करें तथा नई बैटन को सिखने का क्रम जारी रखें इस माह में बात करने के सही तरीका पर बात करते हैं तो चलिए शुरू करते हैं. 

अगर आप अपने मुँह से निकली हर बात में से एक सही इरादा लाते है तो ये ध्वनिया आपके भीतर एक खाश तरिके से समन्धित होंगी। आपकी बोलने में आवाजों की रेंज जितनी कम होगी आपकी वाक्य शुद्धि उतनी ही कम होगी। तो अब आपको इसे एक सक्रिय जागरूकता और इरादे के साथ सुधारना होगा। बोलने का छमता मनुष्य को दिया गया एक उपहार है। इस इंसान जितनी जटिल आवाजे निकल सकता है वैसा कोई दूसरा जीव नहीं कर सकता।

लेकिन हां एक हाथी की चिंगाड हमारी आवाज से कही तेज़ हो सकती है। अगर हाथी आपके पास आकर जोर से चिंगाड दे तो बस उस आवाज से ही आपके हाथ-पैर ढीले पद जायेंगे। शेर दहाड़ सकता है, पक्षी भी बहुत सी आवाजे निकल सकते है। पर कोई भी जीव उस जटिलता के साथ नहीं बोल सकता जैसे हम बोल सकते है। 

भाषाओ को सोच समझ कर इस तरह से रचा गया था ताकि इसका उच्चारण ही शरीर को सुद्ध कर दे। संस्कृत भाषा ऐसे ही तैयार की गयी थी। हम में से अधिकतर लोग सायद अंग्रजी में बात करते है। सारी भाषाओ में से जरुरी नहीं की सारी भाषा, भारतीय भाषाओ या देशी बोलियों की तुलना में स्पेनिश या लैटिन या चीनी भाषा के तुलना में।

अंग्रेजी भाषा में ध्वनियों का विस्तार काफी कम है बहुत ही कम। यह फर्क है की अगर आप जन्म से केवल अंग्रजी ही बोल रहे है तो आपको कोई दूसरा मन्त्र या कोई दूसरी भाषा बोलना इतना मुश्किल लगता है क्योकि आप वाणी के एक सीमित रेंज को इस्तेमाल कर रहे है। तो आपके बोलने में आवाजों की रेंज जितनी कम होगी आपकी वाक्य शुद्धि उतनी ही कम होगी। तो अब आपको इसे एक सक्रीय जागरूकता और इरादे के साथ सुधारना होगा एक चीज़ है ध्वनि और दूसरी चीज़ है ध्वनि के पीछे का इरादा।

आप बहुत प्यार के साथ “ये” कह सकते है या किसी दूसरी भावना से भी “ये” कह सकते है अब ये दोनों शरीर पर एक साथ असर पैदा नहीं करेगा। कार्मिक परिक्रिया का अहम् हिस्सा इरादे में होता है ना की किये गए कार्य में इसी तरह कर्म का मुख्य हिस्सा इरादे में है ना की ध्वनि में लेकिन अगर ध्वनिओं की संरचना वैज्ञानिक तरह से हुयी है जैसे की मंत्रो में या संस्कृत भाषा में तो अगर आप इन्हे बिना किसी जागरूकता के भी बोलते है तो भी आपको लाभ मिलेगा।

क्योकि ध्वनियों की संरचना की प्रकृति ही ऐसी है। लेकिन अब हम ऐसी भाषाये बोल रहे है जो उस तरह से नहीं बनी है तो बेहतर होगा की इसके इरादे पर ध्यान दिया जाये। मेरे ख्याल से इसके पहले मैं आपको कई बार आपको एक महिला के बारे में बताया है जो दूसरे विश्वयूद्ध में बंदिश से बहार निकली और तब उसने इस संकल्प लिया की अगर मैं अब किसी से कुछ कहूँगी और ये मेरे अंतिम शब्द हो ऐसा हो सकते है।

अगर इस व्यक्ति को कहे ये मेरे अंतिम शब्द होने वाले है तो मैं कैसे बात करूंगा। मैं हर किसी से सिर्फ उसी तरह से बात करूंगा यह आपके वाक्य शुद्धि करने का सबसे आसान तरीका है। वाक्य शुद्धि का मतलब है अपने मुँह से निकली हुयी ध्वनियों को शुद्ध करना, ध्वनियों के प्रति जगरूत होना ध्वनियों के विज्ञान या हमारे ऊपर पड़ने वाले इनके असर के प्रति जगरूत होना और इस तक कैसे पहुंचे यह एक अधबुध चीज़ है इसकी समझ एक जीवन काल में नहीं आने वाली।

यह नाधि योग है इसमें बहुत मसक्कत लगती है तो उसके लिए नाधि योग करने के लिए आपके पास एक मन्त्र है। अगर आप इसे हर जगह जाती रखते है। मैं कभी इसके बारे में सोचता भी नहीं। लेकिन अगर मैं बैठा हूँ खड़ा हूँ या कुछ भी मेरे अंदर संभूशिव बस होता रहता है।

ऐसा नहीं है की मैं बोलना चाहता हूँ बस मेरे सांसे खुद के खुद ये आकर ले लेती है। इस तरह से आप भी इसे अपने जीवन में ला सकते है बहुत से लोग ने अपनी बात चीज़ में गंदे शब्दो का इस्तेमाल करना सिख लिया है। या इन दिनों खाश कर मैं देख रहा हूँ की अमेरिका में युवा वर्ग एक शब्द से पूरा वाक्य बनाने लगे है।

मैं भारत में देखता हूँ की कई लोगो ने ये चीज़े सिख ली है और जब वे इन शब्दो को बोलते है लोग Shit-Shit कहते रहते है। मैं उन्हें याद दिलाता रहता हूँ मेहरबानी करके यहाँ मत कीजियेगा। तो सिस्टम में सही तरह का स्पंदन लाने का यह एक तरीका है यह महत्वपूर्ण इस लिए है क्योकि आप अपने भीतर यू ही मौन हो जाते है तो इससे बेहतर और कोई दूसरा तरीका नहीं है यही परम तरीका है अगर आप अपने भीतर यू ही अचल हो सकते है तो ये सबसे अच्छा तरीका है।

अगर ऐसा नहीं हो रहा है तो आगला सबसे अच्छा तरीका ये है की आप शिव कह सकते है यह पुण्यता के सबसे करीब है। वार्ना अगर बस एक शब्द आपके लिए काम नहीं करता तो आप एक थोड़ा ज्यादा लम्बा गाने के लिए आपको एक लाइन चाहिए। तो आप ब्रम्भानंद स्वरूपा या कोई और जप कर सकते है या वैराग्य के उन 5-6 मंत्रो में से जो भी आपने चुना है आप जिसके साथ भी समन्धित हो बस उसे कीजिये।

सबसे बढ़कर आप अपने द्वारा बोली गयी हर ध्वनि में सही इरादा लाईये। अगर आप अपने मुँह में निकली गयी हर बात में से एक सही इरादा लाते है तो ये ध्वनिया आपके भीतर एक खाश तरह से समन्धित होंगी। सही किस्म के समंधान की इस बुनियाद का होना जरुरी है। अगर आप इस मानव तंत्र को एक ऊँची सम्भावना की तरह इस्तेमाल करना चाहते है वरना ये हमेशा आपके पीछे घिसटता रहेगा।

अगर आप चाहते है की ये एक बड़ी सम्भावना बने तो इसके पास सही किस्म की समंधान की बुनियाद होनी चाहिए और आपके द्वारा बोली गयी ध्वनियों की शुद्धता ये वाक्य सुद्दी उसका एक अहम् हिस्सा है और या आप पूरी तरह स्थिर या मौन हो सकते है तो उसके जैसा कुछ भी नहीं है।

इस माह इतना ही... अगले माह कुछ और…

धन्यवाद

आपका पथ-प्रदर्शक 

धर्मेन्द्र कुमार 

पुस्तकालयाध्यक्ष


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